चेहरे के ग़म को यु हसी से
तुम ना छिपाया करो
आँखों की हसरतों को खुद में
ना दबाया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
था वक़्त रंगीन साथ तेरे खुशियाँ जब तक थी
राहों में उसकी कमी से ज़िन्दगी बिखरी
कर याद हर पल को दिल तेरा रोता तो अब भी है
बीतें पलों में कल की हसी को ना भुलाया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
पतझड़ का मौसम तो दर पे रोज़ ना होगा
कल फिर हसी के साथ सावन लौट आएगा
भिगेंगी खुशियाँ सांस बनकर लम्हों की बूंदों में
बारिश के इंतज़ार में तुम मुस्कुराया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
yeh wali thodi heavy ho gayi mere liye :P
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