आसमान से धूल ज़रा साफ़ कर दो
तारे आजकल यहाँ कम दिखते है
दिखती है परछाइयां दीवारों पे
देखने को इंसान यहाँ कम दिखते है
कुदरत से मांग चार पल सुकून ला दो
थके हुए चेहरे हर कदम दिखते है
ख्वाहिशो से झुकी दिखती है पलके
आँखों में सपने मगर अब कम दिखते है
खामोश ख्वाबो में सिसकती आहें
हसरतो की जलती लाशें दिखती है
दिखते है स्याही में डूबे पन्ने
समझ आये ऐसे कलाम अब कम दिखते है
Ehsaas
Thursday, April 14, 2011
Monday, March 28, 2011
हसरत
चेहरे के ग़म को यु हसी से
तुम ना छिपाया करो
आँखों की हसरतों को खुद में
ना दबाया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
था वक़्त रंगीन साथ तेरे खुशियाँ जब तक थी
राहों में उसकी कमी से ज़िन्दगी बिखरी
कर याद हर पल को दिल तेरा रोता तो अब भी है
बीतें पलों में कल की हसी को ना भुलाया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
पतझड़ का मौसम तो दर पे रोज़ ना होगा
कल फिर हसी के साथ सावन लौट आएगा
भिगेंगी खुशियाँ सांस बनकर लम्हों की बूंदों में
बारिश के इंतज़ार में तुम मुस्कुराया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
तुम ना छिपाया करो
आँखों की हसरतों को खुद में
ना दबाया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
था वक़्त रंगीन साथ तेरे खुशियाँ जब तक थी
राहों में उसकी कमी से ज़िन्दगी बिखरी
कर याद हर पल को दिल तेरा रोता तो अब भी है
बीतें पलों में कल की हसी को ना भुलाया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
पतझड़ का मौसम तो दर पे रोज़ ना होगा
कल फिर हसी के साथ सावन लौट आएगा
भिगेंगी खुशियाँ सांस बनकर लम्हों की बूंदों में
बारिश के इंतज़ार में तुम मुस्कुराया करो
इन सीप सी पलकों के मोती ना पिघल जाए
आंसू से इनको रोज़ ना भिगोया करो
याद
एक अजनबी राज़ का एहसास है मुझे
इस भीड़ में भी वीरानियों की तलाश है मुझे
फितरतन हर मोड़ पर ढूंढ़ता हूँ तुझे
इन खामोशियों में तेरी आवाज़ की तलाश है मुझे .
हवाओं का रुख तेरी याद ले आये
खुशबू से तेरी ये आलम महक जाए
सावन की बारिशों में भीगा तेरा बदन
शोख सी वो तेरी अदा याद है मुझे
आने से देर पर वो रूठना तेरा
मानाने पर वो बात बात पे हस देना तेरा
मुस्कान होठों पर और आँखों में गुस्सा
मानाने रूठने के वो सिलसिले याद है मुझे
आते थे मुझसे मिलने को डरते हुए सनम
बैठते थे मेरे साथ सबको देखते हुए
होठों से ज्यादा आँखों से होती थी बातें
मुलाकातों का वो दौर भी याद है मुझे .
मेरे हर पैगाम को रखना सहेज कर
तारीखों की अहमियत का समझाना मुझे
कसमो से बंधना वो हरकतें मेरी
मेरे लिए उनकी परेशानियाँ याद है मुझे .
जलना वो उनका देख कर मुझे किसी गैर के साथ
मूह फेरना गुस्से से और बात ना करना
खोजना फिर बहाने मुझसे बात करने के .
यु छेड़ना महफ़िल में उनको याद है मुझे .
ज़िन्दगी आगे बढ़ गयी कई कारवां गुज़रे
चलता रहा मैं भी मंजिल की तलाश में
अब नहीं है वो फिर भी क्यूँ नहीं पता
राहों में उसकी मौजूदगी का एहसास है मुझे
इस भीड़ में भी वीरानियों की तलाश है मुझे
फितरतन हर मोड़ पर ढूंढ़ता हूँ तुझे
इन खामोशियों में तेरी आवाज़ की तलाश है मुझे .
हवाओं का रुख तेरी याद ले आये
खुशबू से तेरी ये आलम महक जाए
सावन की बारिशों में भीगा तेरा बदन
शोख सी वो तेरी अदा याद है मुझे
आने से देर पर वो रूठना तेरा
मानाने पर वो बात बात पे हस देना तेरा
मुस्कान होठों पर और आँखों में गुस्सा
मानाने रूठने के वो सिलसिले याद है मुझे
आते थे मुझसे मिलने को डरते हुए सनम
बैठते थे मेरे साथ सबको देखते हुए
होठों से ज्यादा आँखों से होती थी बातें
मुलाकातों का वो दौर भी याद है मुझे .
मेरे हर पैगाम को रखना सहेज कर
तारीखों की अहमियत का समझाना मुझे
कसमो से बंधना वो हरकतें मेरी
मेरे लिए उनकी परेशानियाँ याद है मुझे .
जलना वो उनका देख कर मुझे किसी गैर के साथ
मूह फेरना गुस्से से और बात ना करना
खोजना फिर बहाने मुझसे बात करने के .
यु छेड़ना महफ़िल में उनको याद है मुझे .
ज़िन्दगी आगे बढ़ गयी कई कारवां गुज़रे
चलता रहा मैं भी मंजिल की तलाश में
अब नहीं है वो फिर भी क्यूँ नहीं पता
राहों में उसकी मौजूदगी का एहसास है मुझे
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